नेशनल असेसमेंट एंड एक्रिडिएशन काउंसिल (NAAC) ने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (DAVV) को ए प्लस ग्रेड दिया है। इसके साथ ही डीएवीवी यह ग्रेड पानी वाली मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ (MPCG) की पहली यूनिवर्सिटी बन गई है। इस यूनिवर्सिटी को नैक द्वारा कुल 3804 अंकों में से 3138 अंक मिले हैं। अगर प्रतिशत के अनुसार देखें तो 82 फीसदी।
इसके लिए नैक की टीम ने 21 से 23 देवी अहिल्या विश्वविद्यालय का निरीक्षण किया। इसी निरीक्षण के आधार पर नैक ने विश्वविद्यालय को ए प्लस ग्रेड दिया है।विश्वविद्यालय को नैक द्वारा ए प्लस ग्रेड दिए जाने की जानकारी मिलते ही विश्वविद्यालय के दोनों परिसर में जश्न का माहौल बन गया।
ए प्लस ग्रेड मिलने से क्या होगा फायदा
- नैक द्वारा ए प्लस ग्रेड मिलने से अब विश्वविद्यालय को कई फायदे मिलेंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) समेत देशभर की अन्य संस्थानओं (Funding Agencies) से भी अनुदान का रास्ता भी साफ हो गया है।
- इतना ही नहीं, अब डीएवीवी के लिए विदेश के विश्वविद्यालयों के साथ जुड़ने (Tie-up) में भी आसानी होगी।
- पूरे देश के साथ-साथ विदेशी छात्र भी विश्वविद्यालय की ओर आकर्षित होंगे।
इस बारे में विवि कुलपति प्रो. रेणु जैन ने कहा कि पूरी टीम की 15 साल की मेहनत रंग लाई है। यहां सभी की कोशिशों से पांच साल में 50 कोर्सेज बढ़ाए गए हैं। कई तरह के नवाचार पर भी काम किया गया है।
किस श्रेणी में मिले कितने अंक
- करिकुलम डिजाइन और डेवलपमेंट – 2014 में अलग-अलग विभागों में 165 कोर्सेज थे। ये अब 215 हो चुके हैं। बीए, बीएससी समेत आठ नए एमबीए, 14 शॉर्ट टर्म कोर्सेज शुरू हुए। इसमें नैक ने 3.77 अंक दिए।
- इंफ्रास्ट्रक्चर व लर्निंग रिसोर्सेज – विवि में 32 अलग-अलग शैक्षिक विभागों का अपना अलग-अलग भवन है। दोनों परिसरों में केंद्रीय ई-लाइब्रेरी की सुविधा है। कंप्यूटर और छात्रों का अनुपात चार से भी कम है। यहां करीब 11,500 छात्रों पर 2700 से ज्यादा कंप्यूटर हैं। विवि के करीब 90 फीसदी प्रोफेसर्स के पास लैपटॉप है। इसमें नैक ने 3.64 अंक दिए।
- बेस्ट प्रैक्टिस और नवाचार – विश्वविद्यालय के पूरे परिसर को वाई-फाई से लैस किया गया है। इसके तक्षशिला परिसर में आधिनिक तकनीक से लैस वर्षा जल संरक्षण प्रणाली (रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम) भी लगाया गया है। यहां सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल भी पूरी तरह प्रतिबंधित है।