होली की पूर्व संध्या पर सोमवार को परंपरागत तरीके से होलिका जलाई गई। शहर में लगभग दो सौ स्थानों पर स्थापित होलिक में शुभ मुहूर्त शाम छह बजे के बाद आग लगाई गई। इसके बाद होलिका धू-धू कर जल उठी। इस दौरान लोगों ने एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर होली की शुरुआत की।
शहर में होलिका दहन के पूर्व मुहल्ले के लोग अपने आसपास के शिव मंदिरों और सार्वजनिक स्थानों पर ढोल-मजीरे के साथ एकत्रित हुए और झूमकर भजन व होली गीत गाए। शिव भजन से शुरू हुआ कार्यक्रम जब परवान चढ़ा तो होली की मस्ती व हुड़दंग गीतों में उतर आया।
इस दौरान धूल भी उड़ाई गई। होलिका दहन के बाद लोगों ने उसकी राख माथे से लगाई और घर लौट आए। पंडित मनीष मोहन ने बताया कि होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। सारे गिले शिकवे भूल लोगों को मिलजुल कर होली का त्योहार मनाना चाहिए।