विंध्य प्रदेश की मांग फिर उठने लगी।सेंट्रल इंडिया एजेंसी ने1948में विंध्य प्रदेश बनाया था1952में विधानसभा का गठन हुआ विंध्य प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री “श्री शंभु नाथ शुक्ला” हुये।तब विंध्य प्रदेश की राजधानी “रीवा” थी। 1नंबम्बर1956 को मध्यप्रदेश अस्तित्व में तब विंध्य प्रदेश को मध्यप्रदेश में शामिल ये कहते किया गया कि छोटे राज्य तरक्की नही कर सकती और मध्यप्रदेश राज्य में विंध्य प्रदेश का विलय हो गया।तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी जी ने बड़े राज्यों(मध्यप्रदेश, बिहार,उतरप्रदेश) तीन नये राज्य(छत्तीसगढ़, उत्तराखंड झारखंड)ये कहते हुये बनाये की छोटे-छोटे राज्य ही तरक्की जल्दी कर सकते है और तीन नये राज्यों को अस्तित्व मिला और नतीजे आज चार चाँद लगा रहे हैं।प्रधानमंत्री श्री अटलबिहारी वाजपेयी जी को सादर नमन।पृथक विंध्य प्रदेश की मांग के पक्ष भारतीय जनता पार्टी के विधायक नारायण त्रिपाठी ने चुरहट से 300कारो के काफिले के साथ जनसमुदाय को जागरूक करने शुरू किया।लछमन तिवारी पूर्व विधायक ,गूढ़ से नागेंद्र सिंह वर्तमान विधायक सिंह भी विंध्य प्रदेश बने नारायण त्रिपाठी के साथ हाथ मिला कर जनता के बीच जायेंगे।महाकोशल राज्य बने सांसद विधायक भी महाकोशल राज्य पृथक बनें,बीड़ा उठाये ।
रिपोर्टर टुडे इंडिया न्यूज़ महेश दत्त राय