शराब कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ चल रहे बैंक धोखाधड़ी मामले में सीबीआई अधिकारी सुमन कुमार की चुनौतीपूर्ण तथा सावधानी पूर्वक जांच और लंदन की उनकी अनगनित यात्राएं आखिरकार तीन साल बाद रंग लाई हैं। बंद हो चुकी एयरलाइंस किंगफिशर के मालिक रहे माल्या को गुरुवार को ब्रिटेन की उच्चतम न्यायालय से उस समय झटका लगा जब अदालत ने प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील की अनुमति मांगने के उसके आवेदन को स्वीकार करने से मना कर दिया। अब माल्या के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया 28 दिन के अंदर पूरी करनी होगी।
प्रत्यर्पण का यह मामला आईडीबीआई बैंक से 900 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी से जुड़ा हुआ है। माल्या के खिलाफ बैंकों के एक समूह से 9,000 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी के मामले की भी जांच चल रही है। सीबीआई अधिकारी सुमन कुमार को अक्तूबर 2015 में मुंबई के बैंकिंग धोखाधड़ी तथा प्रतिभूति प्रकोष्ठ के डीएसपी के तौर पर माल्या के खिलाफ मामले की जांच का जिम्मा सौंपा गया था। कुमार फिलहाल सीबीआई में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हैं। सीबीआई में मौजूद सूत्रों ने कहा था गंभीर आरोपों के बावजूद कर्ज देने वाले बैंकों ने माल्या के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज नहीं कराया तो सीबीआई के लिए मुश्किल खड़ी हो गई थी। हालांकि एजेंसी ने अपने सूत्रों पर आधारित जानकारी का इस्तेमाल कर माल्या के खिलाफ 900 करोड़ रुपये के कथित कर्ज धोखाधड़ी मामले में प्राथमिकी दर्ज कर अपने कदम आगे बढ़ाने का फैसला किया और कुमार को इस मामले की जांच सौंपी गई।
सीबीआई के तत्कालीन अतिरिक्त निदेशक राकेश अस्थाना ने विशेष जांच दल के प्रमुख के रूप में मामले की बागडोर संभाली। वह और कुमार इस मामले की जांच करने वाली एक शक्तिशाली टीम के अगुवा रहे। उन्होंने बार-बार लंदन के चक्कर लगाकर यह सुनिश्चित किया कि मामले की एक भी सुनवाई न छूटे।