मध्यप्रदेश सरकार की (आर्थिक,राजस्व ) रीढ़ की हड्डी कहा जाने वाला विभाग “आबकारी”एक अदद भवन अपने अधिकारियों ,कर्मचारियों के बैठने के लिए तरस रहा है।जबलपुर जिले के आबकारी विभाग में अधिकारी, कर्मचारियों सहित लगभग 50-55 का स्टाफ़ है।तीन कमरों के निजी भवन में बैठने की समुचित व्यवस्था नही है।प्रदेश में ज़हरीली शराब का कारोबार चरम सीमा में चल रहा ।उज्जैन और रायसेन जिले में जिस तरह अवैध ज़हरीली शराब से असमय मौत हुई हैं।जिला आबकारी अधिकारी जी एल मरावी भी सकते में और,चिंतित है अवैध शराब के कारोबार में लिप्त अपराधियों को रखने वर्तमान आबकारी कार्यालय में अतिरिक्त कमरा नहीं अपराधियों के लिए बन्दीगृह के लिए उपयोग किया (लॉककप रूम) जा सके बमुश्किल विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों के बैठने की व्यवस्था हो पाती हैं अपराधियों को गिरफ्तार कर लाया जाता हैं तो उन्हें रखने का संकट बना रहेगा।जिला प्रशासन को भी पत्र लिखकर आर टी ओ,रजिस्ट्री ऑफिस, रोजगार कार्यालय आदि को शासकीय भवन उपलब्ध कराएं गये ।आबकारी विभाग को भी बड़ा भवन शासकीय या निजी अतिशीघ्र व्यवस्था हो ,वर्तमान स्थिति में शासकीय कार्य करने में भी समस्याओं से विभाग जूझ रहा है निज़ात मिल सके।
रिपोर्टर टुडे इंडिया न्यूज़ महेश दत्त राय