डॉक्टरों की अनुपस्थिति में संपादित हो रही स्वास्थ्य सेवाएं जब पूरे भारत में कोराना जैसे वायरस का कहर छाया हुआ है और जबलपुर में भी इसका परिणाम देखने को मिला जहां पर 6 लोग पॉजिटिव पाए गए ऐसे में जबलपुर जिले की मझौली तहसील में विगत 2 मार्च से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मझौली में रात्रि कालीन इमरजेंसी सेवाएं डॉक्टरों के बगैर ही संपन्न हो रही है शाम 5 बज के बाद लगभग 25 दिन से नही हो पा रहा प्राथमिक उपचार लोग हो रहे परेशान पीड़ित ने बताया जैसा कि लोगों ने बताया की यदि 5 बजे के बाद कोई भी मरीज समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मझोली जाता है तो ना तो वहां डॉक्टर मिलते है और ना ही वहां इलाज हो पाता है यदि कोई ज्यादा परेशान पीड़ित जिसको कुछ ऐसी बीमारी हो जिसे सिर्फ डॉक्टर ही इलाज कर सकते हैं लेकिन वहां डॉक्टर के न रहते हुए इलाज नहीं हो पाता तो जिसके कारण मरीज को स्वयं ही अपने वाहनों से जबलपुर के लिए भागना पड़ता है नहीं हो पाती कोरोना जैसी बीमारियों की जांच एक बार और बताना चाहूंगा कि यदि कोई व्यक्ति ब प्रदेश के बाहर से आता है तो यदि वह जांच के लिए समुदायिक स्वास्थ्य मझौली जाता है तब भी वहां कोई जांच नहीं हो पाती ऐसा ही मामला कल रात को लगभग 9 बजे देखने को मिला 5 वर्षी बच्ची के इलाज के लिए किया मना जब ओमप्रकाश साहू जब अपनी भतीजी को लेकर अस्पताल पहुंचा तो डॉक्टर ने इलाज करने से मना कर दिया तो पीड़ित ओमप्रकाश ने की SDM से शिकायत जिसके चलते पीड़ित के पास तहसीलदार अनूप श्रीवास्तव का फ़ोन आया और तहसीलदार जी के द्वारा बच्ची का इलाज किया गया इससे साफ नजर आ रहा कि BMO पारस ठाकुर अपनी मनमानी करते नजर आ रहे हैं हॉस्पिटल में 5 डॉक्टर जब डॉक्टर की जानकारी ली गई तो पता चला कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मझौली में 5 डॉक्टर हैं जिसमे 3 डॉक्टर आयूष डॉक्टर जिनका काम ग्रामीणों में इलाज करना होता मगर ऐसा नही होता सभी आयुष डॉक्टर ओ.पी.डी. सम्भालतें है और जो डॉक्टर पारस जो BMO है वह अपने कमरे में बैठे रहते हैं मुख्यालय में नहीं रुकते बी.एम.ओ. लोगों ने बताया कि वीवो का हमेशा जबलपुर से आना जाना ही रहता है वह अपने मुख्यालय में कभी रुके नहीं यह बात जब मीडिया द्वारा पूछी गई तो उन्होंने कहा आपको उस से क्या लेना देना और कोई भी बात बताने के लिए वह कैमरे से दूर जा रहे थे