तहसीलदार दे रहे पीड़ित को न्याय के स्थान पर अपील की सलाह
पनागर न्यूज़ :-
पनागर तहसील कार्यालय मे लगातार हुए भ्रष्टाचार की परत दर परत पोल खुल रही है लेकिन इसके बाद भी अधिकारियों, पटवारियों मैं किसी भी प्रकार का सुधार नहीं आ रहा है आपको बता दें कि जबलपुर जिले के अंतर्गत पनागर तहसील वही है जहां 8 पटवारी लोकायुक्त की चपेट में आ चुके हैं पर इसके बाद भी यहां पदस्थ कर्मचारी सुधारने का नाम ही नही ले रहे हैं, ऐसे कई मामले हैं जिनमे खुले तौर से साफ भ्रस्टाचार स्पस्ट हो रहा है पर उन पर नकेल कसने आज तक किसी भी अधिकारी ने पहल नही की है, जिससे पनागर तहसील में सुधार की स्थिति बन सके, बल्कि मामले को गंभीरता से लेने की बजाय अगर जबाबदार तहसीलदार पीड़ित को यह कहे कि आप अपील करें, या माने तो पूरे मामले में कृषक ओर पटवारी द्वारा किये गए भ्रस्टाचार की पोल खोलने या भ्रस्टाचार पर कार्यवाही करने की बजाय उन्हें अपील करने की सलाह दे, तो मामले में उनकी भी संलिप्तता से इनकार नही किया जा सकता है।
ऐसा ही एक मामला पनागर तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम नुनियाकला पंचायत का है जहां सामूहिक खातेदारों के तालाब को बिना सहमति नियम विरुध्द अपने नाम पर कराने का मामला सामने आया है, तालाब के अन्य सहखातेदारों को जब इसकी जानकारी प्राप्त हुई तो उन्होंने पहले तो दस्तावेज प्राप्त करने संबंधित विभाग में आवेदन दिए लेकिन तहसील पनागर ओर कलेक्टर कार्यालय से उन्हें कोई रिकॉर्ड प्राप्त नही हो रहे हैं बल्कि उन्हें यह लिखित दे दिया गया कि उक्त प्रकरण का कोई रिकॉर्ड वहां उपलब्ध है ही नही, उक्त रिकॉर्ड का प्रकरण दायरा पंजी में तो दर्ज हैं, पर अंतरिम आदेश कब हुआ, रिकॉर्ड कहाँ है इसकी कोई प्रविष्टि दर्ज नही है। जिससे पूरे मामले में यह तो स्पस्ट है कि इसमें कृषक एवं पटवारी के द्वारा फर्जी तरीके से दुरुस्ती की गई है क्योंकि प्रकरण बना ही नही है, सिर्फ दायरा पंजी में बिना दस्तावेज प्रकरण क्रमांक दर्ज किया गया है, जिससे पूरे मामले में भ्रस्टाचार की बू साफ नजर आ रही है।
खातेदार लगा रहे तहसील के चक्कर, अधिकारी दे रहे अपील की सलाह
समस्त खातेदारों ने पहले सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज कराई, जहां मामले में कार्यवाही करने की बजाय तहसीलदार पनागर ने यह कहकर मामला खत्म करा दिया कि मामला प्रकरण के आधार पर आदेशित हुआ है, आप अपील करें, उनका यह कह देना सीएम हेल्पलाईन की शिकायत को तो बंद करा सकता है पर शिकायतकर्ता को कहीं से कोई राहत नही दी, बल्कि उनके ऐसे कथन ने नया विवाद सामने ला दिया है, मामले में कृषक ओर पटवारी की fir दर्ज कराने के स्थान पर उनके द्वारा अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को बढ़ाबा दिया जा रहा है, जिससे खासकर पटवारियों के मनोबल को बढ़ाबा मिल रहा है, ऐसे ही मामलों के कारण स्थानीय लोगों को अंततः किसी अन्य लोगों का सहारा लेना पड़ता है, मसलन पनागर में लगभग 8 पटवारी लोकायुक्त की चपेट में आ चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद तहसील कार्यालय में किसी भी तरह का सुधार नही हो रहा है ।
सहखातेदारों ने पनागर तहसीलदार के समक्ष उपस्थित होकर उक्त नामांतरण निरस्त कर उचित कार्यवाही करने का आवेदन दिया। वहीं अन्य सहखातेदारों ने बताया कि एक खातेदार ने तहसील कार्यालय में पदस्थ अधिकारियों से सांठगांठ कर नियम विरुद्ध तरीके से तालाब की कुछ भूमि को अपने नाम करा लिया है, जिसमे हैरानी की बात तो यह है कि सहखातेदारों के पास तहसील कार्यालय से उन्हें न कोई नोटिश मिला और न ही विधिवत इसका इश्तहार प्रकाशन कराया गया, जिस कारण उन्हें इस मामले की जानकारी नही थी, पर जैसे ही मामले की जानकारी उन्हें प्राप्त हुई उन्होंने संबंधित अधिकारियों के समक्ष उपस्थित होकर नामांतरण निरस्त कर मामले में संलिप्त अधिकारी, पटवारी के खिलाफ प्रकरण दर्ज कराने की मांग करने संबंधित विभाग में आवेदन प्रस्तुत किया है।