अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समेत कुछ देशों ने इसे लेकर चीन और उसकी वुहान स्थिति प्रयोगशाला पर सीधा आरोप लगाया।
भारत ने भी उन 62 देशों के क्लब में खुद को शामिल कर लिया है, जो कोविड-19 वायरस के स्रोत तलाश की मांग कर रहे हैं। भारत ने इस भी प्रस्ताव के समर्थन में अपना मसौदा दाखिल किया है। अभी तक कूटनीति में तटस्थ रहने वाले भारत ने अचानक आक्रमकता अख्तियार की है। इससे दुनिया के देश भी हतप्रभ हैं।
सोमवार से डब्ल्यूएचओ की बैठक चल रही है। अमेरिका ने कोविड-19 संक्रमण में डब्ल्यूएचओ की भूमिका पर भी सवाल खड़ा किया और उसे दी जाने वाली वित्तीय सहायता रोक दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी डब्ल्यूएचओ में सुधार की मांग की है।प्रधानमंत्री ने जी-20 देशों की बैठक में भी डब्ल्यूएचओ में सुधार की जरुरत पर बल दिया था। खास बात यह है कि कोविड-19 संक्रमण को लेकर दुनिया के तमाम देशों का शक चीन की तरफ है।
भारतीय विदेश मंत्रालय अभी तक इस पर किसी भी तरह की प्रतिक्रिया से बचता रहा है। इस बारे में विदेश मंत्रालय का कहना है कि कोविड-19 संक्रमण का पहला ममला चीन के वुहान प्रांत में जानकारी में आया था। इसके अलावा वह इसे बारे में कुछ और कहने की स्थिति में नहीं है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी इस मामले में कुछ बोलने में लगातार सावधानी बरती है।
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